कोसी का प्रकोप
बह रहे खेत खलिहान,
जीवन का ख़त्म होना जारी है,
बंद करो दलीलें अपनी,
अभी कोसी का प्रकोप जारी है।
वातानुकूलित कमरे में बैठ,
नेताओं का भाषण जारी है,
मनुष्य मिट चुके अब,
अभी मनुष्यता का मिटना जारी है।
बाढ नहीं महाप्रलय है यह,
सरकार का बयानबाजी जारी है,
आम आदमी राहते को तरस रहे,
अभी हेलीकौप्टर का भ्रमण जारी है।
किसे कहें अब कौन है दोषी,
असहाय लोगों का पलायन जारी है,
कुछ मरे कुछ मर रहे,
अभी दुधमुहें बच्चों का बिलख़ना जारी है।
यह कोई प्रथम अवसर नहीं,
बाढ हर वर्ष यहां जारी है,
लोग मरते हैं तो बेशक मरें,
अभी सरकारी लूट का नाटक जारी है।
2 comments:
bahoot khoob.aisa laga jaise kosi ke prakop ko jhel rahi hoon.badhai.
vaah na val kishore sab,kamaal ka likha hai aapne,badhai.
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