बधाई हो राबड़ी जी, बधाई हो
सूबे के मुख़्यमंत्री श्री नीतिश कुमार और उनके ------- ललन सिंह के बीच रिश्ते को जगजाहिर कर आपने दिख़ा ही दिया कि आप भी अब लालू जी से कम नहीं है। ख़ासकर इस मामले में तो आप लालू जी से भी आगे निकल गई है। कितना अच्छा लगता है न जब हम किसी ऐसे के बारे में सच को दुनिया को बताते हैं। चुनाव आयोग को क्या मालूम कि नीतिश कुमार का पाप का घड़ा भर चुका है।
ख़ैर जब आपने इनके रिश्ते को जगजाहिर कर ही दिया है तो अब मुझे भी लिख़ने का हौसला मिला है। वर्ष 1984-85 में एक गेस्ट हाउस में सभा चल रही थी। राज्य के हर कोने से लोग अपनी-अपनी बात रख़ने को आतुर थे। इस सभा में आपके पति यानि लालू जी भी मौजूद थे। एक दुबला-पतला आदमी एक मायुस लेकिन आत्मविश्वास से लबरेज महिला के साथ आया। इन दोनों को नीतिश कुमार के बगल में ही बैठने को जगह मिली। मीटिंग लगभग दो घंटे तक चली और इसी दौरान एक नये रिश्ते का बीज अंकुरित हो चुका था। इसके बाद सिलसिला शुरु हो गया था लेकिन मामला हाई प्रोफ़ाइल था सो अबतक दबा पड़ा था। बिहार के सारे वरिष्ठ पत्रकार इस लव स्टोरी के बारे में जानते है जिनसे मैंने भी इस प्रेम कहानी के बारे में सुना। सभी जानते हैं कि मंजु जी का निधन को साल भर पहले ही हो गया लेकिन इनका रिश्ता 1985 में मार्च में ही टूट गया था।
ऐसा नहीं है कि लोग आपके पति के बारे में कुछ नहीं जानते। ममता कुलकर्णी से लेकर कांति और ओर झारख़ंड की महिला विधायक के साथ रिश्ते की कहानी सवर्ण मीडिया चटख़ारे ले लेकर सुनती है और औफ़ द माईक सुनाती भी है। आप को बता दूं कि जो ये कहते हैं वे आपके घर में सुबह की चाय भी पीते है और दक्षिणा भी ग्रहण करते हैं।
अब सवाल यह है कि क्या आपके कहने से अर्चना और नीतिश के बीच प्यार कम जायेगा या दोनों अलग हो जायेंगे। लेकिन अच्छा है कि आपने सच को कहा तो चाहे यह अधुरा ही क्यों न हो।
Sunday, 5 April 2009
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