Thursday, 1 May 2008

मजदूरों होश मे आओ

आज की नही है ये बात यारों
ये जुल्मो सितम सदियों पुरानी है।
हमारे गाढे खून से लिखी गई
ये हमारी तुम्हारी कहानी है।

हाथ हमारे निवाला उनका
आख़िर कबतक उन्हें खिलाएंगे हम।
अपने बच्चो का पेट काट
आख़िर कबतक उनकी दुनिया सजायेंगे हम।

बहुत हो चुका धरना औ प्रदर्शन
अब इंकलाब की बारी है।
उठो जागो हे मजदूरों होश मे आओ
यह पुरी दुनिया तुम्हारी है।

करो जयघोष नव्क्रान्ति का
विजय श्री तिलक लगायेगी।
भले शहीद हो जायेंगे हम मगर
इतिहास हमारा सच दोहराएगी।



No comments: