वो हमारे शासक हैं, लोकतंत्र की सीढियों से चलकर देश के सीने में छुरा भोंक सहृदयता का अनूठा उदहारण प्रस्तुत करने वाले ये नेता हमारे पालनहार बने हैं। जिन्हें हमने चुना और मान सम्मान दिया, आज वाही हमारे सपनो को तार तार करने में लगे हैं। कांग्रेस अपना सामंतवादी चोला उतारने को तैयार नही, बीजेपी को राम मन्दिर के नाम से फुरसत नही, लेफ्ट को चीन प्रेम के आगे देश की परवाह नही,बसपा को मायावती की मूर्ति लगाने से छुट्टी नही और लालू और मुलायम को मुस्लिम प्रेम से इनकार नही। बिहार के सुशासन बाबु यानि नीतिश कुमार जी को उच्च जाति के लोगों की जी हुजूरी करने से फुरसत नही।
आज दिनांक ७ जुलाई २००८ को बिहार के राजधानी से मात्र १० किलो मीटर दूर कुर्जी मुहम्मद पुर गाँव में ९ लोगों को सामूहिक हत्या कर दी गई। यह कोई पहला मौका नही है जब बिहार में कत्ले आम हुआ। इससे पहले भी अपराधियों ने लोगों का खून पिया है। लेकिन जिस सब्जबाग को दिखाकर नीतिश जी सत्ता में आए वह तो मात्र झूठा ख्वाब ही रह गया। इस सप्ताह में करीब २५० से ज्यादा लोगों की हत्याएं हुई हैं। नीतिश बाबु जनता के प्रति कितने संवेदनशील हैं इसका अंदाज इसीसे लगाया जा सकता है। कुर्जी मुहम्मदपुर की घटना में ५ भूमिहार, ३ यादव और १ दुसाध का मर्डर किया गया। नीतिश जी ने अपने प्रतिनिधि के रूप में एक भूमिहार मंत्री श्री रामाश्य प्रसाद सिंघ को घटनास्थल पर भेजा। आख़िर भूमिहार भूमिहार का ही हो सकता है। यह मंत्री जी ने साबित कर दी। वे सिर्फ़ भूमिहार मृतकों के घर गए और अन्य लोगों को उनके हाल पर छोड़ दिया।
मुझे शर्म आता है के मैं उस राज्य का रहने वाला हूँ जहाँ के शासक ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर भी गंभीरता से विचार करने के बजाय लाशों पर राजनीती करते हैं। क्योंकि मैं जानता हूँ के उन्हें तो शर्म आएगी नही क्योंकी वे जिस मिटटी के बने हैं उसमे शर्मिंदगी हैं ही नही।
Monday, 7 July 2008
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