बरसात की शुरुआत में,
गडढे बनते तालाब में,
सुशासन सरकार में लोगों का,
चैन से जीना मुहाल देखा,
भइया, मैंने बिहार का समाचार देखा।
माल महाराज का मिर्जा खेले होली,
नीतिश कर रहे अब जनता से ठिठोली,
यु पी ऐ के दिए पैसों पर,
सुशासन का नित नया प्रचार देखा,
भइया, मैंने बिहार का समाचार देखा।
दहशत छाई है सड़कों पर,
अपराधी छुट्टे घूम रहे अब सड़कों पर,
घरों में होता निरीह लोगों का,
क्रूरतम वीभत्स नरसंहार देखा,
भइया, मैंने बिहार का समाचार देखा।
सूरजभान भी गए कानून की भट्ठी में,
फाल्गुनी का पैर तोड़, नरेन्द्र रहे मस्ती में,
जेडीयू की गोद में शिशुवत,
बीजेपी का रोज़ होता प्रलाप देखा,
भइया मैंने बिहार का समाचार देखा।
गडढे बनते तालाब में,
सुशासन सरकार में लोगों का,
चैन से जीना मुहाल देखा,
भइया, मैंने बिहार का समाचार देखा।
माल महाराज का मिर्जा खेले होली,
नीतिश कर रहे अब जनता से ठिठोली,
यु पी ऐ के दिए पैसों पर,
सुशासन का नित नया प्रचार देखा,
भइया, मैंने बिहार का समाचार देखा।
दहशत छाई है सड़कों पर,
अपराधी छुट्टे घूम रहे अब सड़कों पर,
घरों में होता निरीह लोगों का,
क्रूरतम वीभत्स नरसंहार देखा,
भइया, मैंने बिहार का समाचार देखा।
सूरजभान भी गए कानून की भट्ठी में,
फाल्गुनी का पैर तोड़, नरेन्द्र रहे मस्ती में,
जेडीयू की गोद में शिशुवत,
बीजेपी का रोज़ होता प्रलाप देखा,
भइया मैंने बिहार का समाचार देखा।
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